विवेकानंद केंद्र विद्यालय सेजोसा में गुरूपूर्णिमा (आषढ़ पूर्णिमा को ) बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया गया । गुरुपूर्णिमा के इस शुभ अवसर पर SSG मेम्बर और पालक को आमंत्रित किया गया ।गुरुपूर्णिमा के बारे में बताया गया कि इस दिन श्री वेद व्यास का जन्म हुआ था ,इस लिए इस दिन को गुरुपूर्णिमा या व्यास पूर्णिमा कहा जाता है । वेद व्यास जी ने वेदों की रक्षा तथा सम्पूर्ण ज्ञान परम्परा को नष्ट होने से बचाने के लिए उन्हें लिखित रूप देकर रक्षा प्रदान किया ।वेद की सभी शाखाये - आयुर्वेद,गन्धर्व वेद ,स्थापत्य वेद ,धनुर्वेद आदि को लिखित रूप प्रदान किया ।
वेद की रक्षा और संरक्षण सभी समुदाय द्वारा आदिकाल से किया जा रहा है ।इस प्रकार वैदिक ज्ञान परम्पराओ की रक्षा और पालन की जिम्मेदारी पिता से पुत्र या गुरु से लेकर शिष्य तक को सौपी गई है । वैदिक ज्ञान परम्परा को अगली पीढ़ी को हस्तांतरित करके उसकी रक्षा करनर की परंपरा के रूप में गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है ।
यदि वेद व्यास का जन्म नही हुआ या यदि उन्होंने भारत की ज्ञान परम्पराओ की रक्षा के इस तरीके को विकसित नही किया होता तो मध्य पूर्व या यूरोप के कई अन्य देशो की तरह ,हम भी अपना सारा ज्ञान खो देते और इसके साथ ही हमारी पहचान भी लुप्त हो जाती ।भारत भारत नही रहा होता ।वेदों को सम्पादित और सनरक्षित किया ।इसलिए उन्हें वेद व्यास भी कहा जाता है ।
अरुणाचल प्रदेश के साथ ही सम्पूर्ण भारत में विवेकानंद केंद्र एक ऐसे समाज की स्थापना के लिए कार्य कर रहे है जहाँ ये ज्ञान परंपराए मनुष्य के सर्वांगीण विकास के लिए उपलब्ध होनी चाहिए ।
गुरुपूर्णिमा के इस पावन अवसर पर विद्यालय (छात्रावास) में गुरु -शिष्य परम्परा पर आधारित लघु नाटिका ' उपमन्यु की गुरुभक्ति ' का मंचन कक्षा नवमी के छात्र कोनियो रेबे और उसके ग्रुप के द्वारा सफलता पूर्वक किया गया । कार्यक्रम में उपस्थित SSG मेंबर और पालक श्री तासु ताकु जी एवं श्री जैमिनी भराली जी ने गुरुपूर्णिमा के बारे में अपने विचार प्रकट किए । नाटिका मंचन पश्चात छात्रों के भजन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया ।जिसमें प्रथम स्थान राजगुरु हाउस, द्वितीय स्थान सुभाष हाउस एवं तृतीय स्थान पर भगतसिंग हाउस रहे । इस कार्यक्रम का मार्गदर्शन आदरणीय प्राचार्य महोदय ने और कार्यक्रम का संचालन शिक्षक अर्जुन कुर्रे ने किया ।